लेखनी प्रतियोगिता -26-Jul-2023
शीर्षक- आघात
आघात हृदय पर होता है,
जब देखूँ मैं रोती नारी।
टूटी मर्यादा की रेखा,
उन्मुक्त हुए हैं व्यभिचारी।।
बलवत तन को हासिल करना,
कब पौरुष कहलाता है।
जो जीते हृदय विचारों से,
वह परम मीत बन जाता है।।
जो नारी के मन को समझे,
उस पर कर दे वह सब वारी।
आघात हृदय पर होता है,
जब देखूँ मैं रोती नारी।।
जो फूल लगे मन को सुंदर,
उसकी रक्षा करके देखो।
क्यों सुमन कुचलते बेदर्दी,
मधु गंध हृदय भरके देखो।।
तुम सदा अनसुनी कर देते,
उसकी चीखें अत्याचारी।
आघात हृदय पर होता है
जब देखूँ मैं रोती नारी।।
छूने से कब है प्रेम हुआ,
यह विषय सदा है भावों का।
करता प्रेमी मन फिक्र जहाँ,
जुड़ जाता बंध लगावों का।।
परे देह को रखकर देखो,
तो होगी प्रीति सदा न्यारी।
आघात हृदय पर होता है,
जब देखूँ मैं रोती नारी।।
जो रूप देख मोहित होते,
वो कब समझें हैं प्रेम भला।
अनुभूति करो प्रिय की पीड़ा,
पढ़ना मन को है एक कला।।
वही प्रेम तो सच्चा था,
जो करते राधा बनवारी।
आघात हृदय पर होता है,
जब देखूँ मैं रोती नारी।।
तुम तो तन के अनुरागी हो,
क्या जानो प्रेम किसे कहते।
मिल जाये तृप्ति तुम्हें तन की,
तुम इसी चाह में हो रहते।।
कर लो पूजन मन से मन का,
मिट जाएगी दुविधा सारी।
आघात हृदय पर होता है,
जब देखूँ मैं रोती नारी।।
प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।
Gunjan Kamal
27-Jul-2023 11:31 AM
👌👏
Reply
Abhinav ji
27-Jul-2023 08:57 AM
Very nice 👍
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
27-Jul-2023 08:20 AM
Wahhhh wahhhh बहुत ही सुंदर और उत्कृष्ट गीत,,,, शब्द संयोजन,,, चयन बेमिसाल
Reply